केंद्र सरकार का बिहार से हकमारी का नया खुलासा सामने आया है. वर्ष 2014 से नरेन्द्र मोदी सरकार सत्ता में आते ही ‘सर्व शिक्षा अभियान’ का बिहार के हिस्से में लगातर कटौती की है
वर्ष 2014-15 से वर्ष 2017-18 तक केंद्र सरकार ने अपने फंड अंश दान से 12541.83 करोड़ रुपये की कटौती की है.
बिहार सरकार ने वर्ष 2013-14 से 2017-18 तक ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के लिए 42568.41 करोड़ का बजट अप्रूव किया, जिसमे केंद्र सरकर को 25043.51 करोड़ रुपया देना था. लेकिन केंद्र सरकार ने मात्र 12501.68 करोड़ रुपया ही राज्य सरकार को मुहैया कराया. जो की कुल अप्रूव बजट का लगभग 49.91% है.
बिहार के हिस्से का बजट काट भाजपा सरकार बिहार के लोगों को बेरोजगार और अशिक्षित करने का षड्यंत्र कर रही है, गौरतलब है कि बिहार सरकार के अनुसार राज्य में 203934 ( दो लाख तीन हज़ार नौ सौ चौतींस ) पद खाली हैं. ( Source : Bihar Education Project, GOB)
शिक्षकों को समय पर वेतन न मिलना, स्कुल के बुनियादी व्यस्था का निर्माण न होना छात्र- छात्राओं को समय पर छात्रवृति, पोषक, किताब आदि का समय पर वितरण न होने का बसे बड़ा कारण यह है कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को वाजिब फंड उपलब्ध नहीं कराया.
नीतिश कुमार जब भाजपा से गठबंधन कर सरकार बनाया था तो कहा था कि अब डबल इंजन से बिहर का विकास होगा. क्या यही है डबल इंजन का विकास! मोदी और नीतिश कुमार की सरकार बेरोजगारों को रोजगार देने केवादे के साथ सत्ता में आयी थी मगर चार साल बाद यह साफ़ हो गया है कि सराकर की नियत बेरोजगारों को रोजगार और शिक्षा वयवस्था को ठीक करना नहीं बल्कि सरकारी संस्थानों को मृत करने का है.
धन्यवाद
आशीष रंजन, महेंद्र यादव, कामायनी