हमारे यहां महिलाओं को अक्सर पुरुषों के कंधे-से-कंधा मिला कर चलने की सीख देते वक्त इस सचाई को नजरअंदाज किया जाता है कि पूरे परिदृश्य में ऐसी कई महिलाएं हैं, जिनकी मौजूदगी महिलाओं के लिए कहीं ज्यादा मानीखेज हैं। ऐसी महिलाओं के महत्व का रेखांकन कर रही हैं सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की डायरेक्टर और मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता रंजना कुमारी:महाश्वेता देवी (लेखिका/ सामाजिक कार्यकर्ता): 86 बरस की महाश्वेता देवी उन महिलाओं में से हैं, जिन्होंने अपने काम और लेखन से न सिर्फ महिलाओं, बल्कि एक बड़े संदर्भ में दलितों और आदिवासियों के लिए स्थायी महत्व के काम किए। एक संभ्रांत परिवार की बंगाली महिला के लिए ऐसे काम चुनने और उसके लिए अपना जीवन दे देने की वह पहली प्रेरक मिसाल हैं। उनकी सक्रियता, फिर वह चाहे लेखन के मोर्चे पर हो या जमीनी स्तर पर, यह हौसला देता है कि महिलाएं सिर्फ महिलाओं के विषय में ही नहीं, उससे आगे जाकर बड़े स्तर पर अपनी योग्यता और क्षमता से समाज हित में काम कर सकती हैं।
मेधा पाटकर (सामाजिक कार्यकर्ता): अड़ना और लड़ना अगर सीखना हो, तो आप मेधा पाटकर के पास जाइए। उनमें विनय के साथ-साथ जिद और जुझारूपन भी है। महात्मा गांधी के आजमाए हुए हथियारों से मेधा ने आजाद भारत में नदी और नागरिकों के लिए जैसा लंबा और न खत्म होने वाला संघर्ष किया है, वह बेशकीमती है। लंबे वक्त तक अनशन करना और विस्थापितों के लिए इस देश में समय और समर्पण की पूंजी पर, जो लड़ाई मेधा कर रही हैं, वह जनहित का डंका पीटने वाले भला क्या लड़ेंगे? मेधा इसीलिए उन बहुत-सी महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जिनके मन में लोगों के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा है।