अनिश्चितकालीन उपवास का पांचवां दिन, लगातार उपवास पर बैठे नर्मदा घाटी के 12 लोग और मेधा पाटकर।
सुप्रीम कोर्ट ने नर्मदा बचाओ आन्दोलन की याचिका सुनी, मुख्य न्यायाधीश ने तत्काल प्राथमिकता देते हुए 8 अगस्त को सुनवाई के लिए किया मंजूर।
बड़वानी, मध्य प्रदेश में राजघाट पुल और कसरावद पुल पर किया चक्का जाम, घाटी के प्रभावितों ने अपने घरों में किया चूल्हा बंद, किया सामूहिक अनशन।
दिल्ली में स्वराज इंडिया ने किया एक दिन का उपवास और निकाला कैंडल मार्च, कई जाने माने लोग, सांसद धर्मवीर गाँधी, राजू शेट्टी, विधायक पंकज पुष्कर शामिल हुए कार्यक्रम में।
विमल भाई ने चरखा चलाते हुए, राजघाट में सरकार द्वारा गाँधी समाधि को उखाड़ने का किया विरोध, बोला हिंशक हो रही है सरकार।
पुणे में 12 घंटों का उपवास, मुख्य न्यायाधीश व अन्य को नर्मदा घाटी में विनाश रोकने को लिखा सामूहिक पत्र।
बड़वानी, मध्य प्रदेश | 31 जुलाई, 2017 : नर्मदा घाटी में अनिश्चितकालीन उपवास आज पांचवें दिन में पहुँच चुका है, अभी भी 12 नर्मदा घाटी के लोग और मेधा पाटकर अनवरत बिना सम्पूर्ण और न्यायपूर्ण पुनर्वास के सरकार द्वारा गैर कानूनी डूब का विरोध करते हुए उपवास पर बैठे हैं।
आज सुप्रीम कोर्ट में नर्मदा घाटी से प्रभावित लोगों से सम्बंधित दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई। न्यायाधीश रोहिनटन नरीमन व संजय किशन कौल की पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उन्हें मुख्य न्यायाधीश के समक्ष जाने को कहा। दो याचिकाओं में एक याचिका हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ SLP है, और दूसरी पुनर्वास के सवाल पर जनहित याचिका है जिसकों न्यायाधीश पानचंद जैन, अरुणा रॉय, कुलदीप नायर, हन्नान मोल्लाह, एनी राजा, सौम्या दत्ता, जो इससे पहले कई बार नर्मदा घाटी जा चुके है और वहां की यथास्थिति से अवगत हैं, ने दाखिल किया।
दोपहर में अधिवक्ता संजय पारिख व प्रशांत भूषण ने याचिका को मुख्य न्यायाधीश के सामने रखा और विस्तार से नर्मदा घाटी के पुनर्वास स्थलों, टिन शेड्स, और सुविधाओं की कमी के बारे में चित्र दिखाए और बताया। मुख्य न्यायाधीश जे. एस. केहर ने सभी बातों को सुनते हुए याचिका को 8 अगस्त के दिन तीन न्यायाधीश की पीठ के सामने सुनने को मंजूरी दी।
इसके साथ ही सरदार सरोवर प्रभावितों से सम्बंधित मामले सुप्रीम कोर्ट में दुबारा सुने जायेंगे। नर्मदा बचाओ आन्दोलन मध्य प्रदेश सरकार से उम्मीद करती है कि जब न्यायाधीश केहर याचिका को एक बार फिर सुन रहे हैं तो सरकार प्रभावितों को बिना सम्पूर्ण पुनर्वास जबरन बेदखली ना करते हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसले के अन्य भाग पर ध्यान देते हुए सभी लोगों के मुवावजे पर ध्यान देगी, पुनर्वास स्थलों में भी सुविधायें पक्की करेगी, और भूमिहीनों के वैकल्पिक आजीविका पर विशेष ध्यान देगी।
वहीँ जब आज 31 जुलाई, 2017 के दिन जब सरकार अपना दम ख़म दिखाते हुए लोगों को घाटी से जबरन निकालने वाली थी तो लोगों नें बड़वानी में राजघाट पुल और कसरावद पुल पर चक्का जाम किया और सीधा सीधा संकेत दिया कि बिना पुनर्वास वो घाटी से टस से मस नहीं होंगे। सरकार चाहे 1500 की पुलिस बल की टुकड़ी ले आये या 15,000 की, जब तक हमें सम्पूर्ण और न्यायपूर्ण पुनर्वास नहीं मिल जाता, हम सरकार द्वारा जलहत्या कबूल कर लेंगे लेकिन हटेंगे नहीं, घाटी के लोगों ने कहा।
दिल्ली में आज स्वराज इंडिया के साथियों ने नर्मदा घाटी में बिना पुनर्वास डूब के खिलाफ एक दिन का उपवास रखा और शाम में कैंडल मार्च निकाला। उपवास के दौरान नर्मदा के कई वरिष्ठ साथी धरने स्थल पर पहुंचे और नर्मदा बचाओ आन्दोलन के इतिहास और उपलब्धियों पर विस्तार से बताते हुए आज 40000 से अधिक परिवारों को जलहत्या देने पर उतारू सरकार व पूरी स्थिति के बारे में लोगों को बताया। विमल भाई ने शुरुआत करते हुए नर्मदा बचाओ आन्दोलन कैसे शुरू हुआ और पिछले 32 वर्षों में हासिल हुई उपलब्धियों के बारे में बताया। योगेन्द्र यादव जी ने समर्थन जाहिर करते हुए नर्मदा में संघर्षरत साथियों को पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया, इसके बाद डॉ. सुनीलम, राजेंद्र रवि, भूपेंद्र सिंह रावत, सीपीआईएम से रामचंद्रन जी, पर्यावरणविद सौम्य दत्ता, मधुरेश कुमार, उत्तराखंड से परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी. सी. तिवारी जी व आम आदमी पार्टी के विधायक पंकज पुष्कर ने भी समर्थन में बात रखी। आज सुप्रीम कोर्ट के जनहित याचिका पर 8 अगस्त को सुनवाई करने की सूचना के बारे में भी बताया गया। इसी बीच मेधा पाटकर ने बड़वानी से फ़ोन पर बात करते हुए लोगों से अपील की व वहां की वास्तविक स्थिति से अवगत कराया। पुलिस बल बढती जा रही है घाटी में और किसी भी वक़्त जबरन बेदखली और गिरफ्तारी कर देश-प्रदेश के इतिहास में आपातकाल की स्थिति ला सकती है सरकार। सभा में सांसद धर्मवीर गाँधी और राजू शेट्टी भी पहुंचे और अपना समर्थन घाटी के लोगों के साथ व्यक्त किया और अपील किया सरकार से कि राजनीतिक फायदे के लिए एक घाटी की बलि ना चढ़ाएं जहाँ अभी भी 40000 से ज्यादा परिवार बिना पुनर्वास के रह रहे हैं। सरदार सरोवर के गेट्स फ़ौरन खोले जाए और एक सरकार द्वारा गढ़ित मानवीय त्रासदी को रोका जाए। सरकार द्वारा राजघाट में गाँधी समाधि के तोड़े जाने के विरोध में विमल भाई ने धरने स्थल पर चरखा चलाकर सरकार की करतूत का विरोध किया।
नर्मदा घाटी के लोगों और नर्मदा बचाओ आन्दोलन के समर्थन में आज नर्मदा घाटी के 40000 से अधिक परिवारों के सम्पूर्ण और न्यायपूर्ण पुनर्वास के लिए और गैर कानूनी डूब के खिलाफ देश भर से आवाज़ उठी, दिल्ली में जंतर मंतर पर स्वराज इंडिया ने एक दिन का उपवास और कैंडल मार्च के अलावा इंदौर, मध्य प्रदेश में नर्मदा समर्थक समूह ने प्रदर्शन किया; पुणे, महाराष्ट्र में 12 घंटे का उपवास व मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री व अन्य सम्बंधित को सामूहिक चिट्टी लिखा, इसके साथ महाराष्ट्र में मुंबई, सतारा, नासिक, औरंगाबाद, धुले, वर्धा, सांगली, वांग-मराठ्वारी, नांदेड़, नागपुर, लातूर, लवासा, तराली, कोल्हापुर, बीड व कई अन्य जगह उपवास, प्रदर्शन व कार्यक्रम किये गए; सीतापुर, मधुबनी, उत्तर प्रदेश में जनसंगठनों ने प्रदर्शन किया; चेन्नई, तमिलनाडु में पूवुलागिन नन्बर्गल, Unorganised Workers Federation, पेन्नउरिमय इयक्कम संगठनों व मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित टी एम कृष्णन, पर्यावरणविद नित्यानंद जयरामन ने प्रेस वार्ता की; दादर, मुंबई में नर्मदा समर्थक समूह ने प्रदर्शन किया; गुजरात के कई जगह प्रदर्शन हुए; मध्य प्रदेश में करीब 20 जगह पर उपवास रखा लोगों ने; गर्दनीबाग, पटना, बिहार में जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, बिहार के साथियों ने धरना किया और बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने नर्मदा घाटी जा चुके नीतीश कुमार से बीजेपी में जाने के बाद शासक वर्ग से बात कर घाटी में विनाश को रुकवाने की अपील की।