किसानों पर मध्य प्रदेश सरकार का पुलिसिया दमन जारी, बुजबुजा गाँव के अहिंसक किसान आन्दोलनकारी हुए गिरफ्तार
पूंजीपतियों और कंपनियों के इशारे पर चल रही सरकार, किसानों के न्यायपूर्ण अधिकार को सरकार कर रही नजरअंदाज़
सरकार द्वारा वेलस्पन कंपनी के लिए जबरन अधिग्रहित किसानों की 800 एकड़ जमीन वापस किये जाने की मांग को लेकर 2010 से चल रहे अनवरत अहिंसक किसान आंदोलन को जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय का समर्थन
नई दिल्ली | 14 जून, 2017: जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय ने वेलस्पन कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को कटनी जेल भेजे जाने की कार्यवाही और उनके साथ की गयी पुलिस द्वारा मारपीट की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए किसानों को बिना शर्त रिहा करते हुए जबरन अधिग्रहित जमीन वापस लौटाने के लिए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग करती है। वेलस्पन कंपनी के खिलाफ बुजबुजा और डोकरिया के ग्रामीणों द्वारा कई वर्षों से सतत आंदोलन चलाया जा रहा है। म.प्र. सरकार द्वारा कंपनी को लगातार संरक्षण देने के बावजूद किसान संघर्ष के मोर्चे से पीछे नहीं हटे हैं तथा किसानों का अहिंसक आंदोलन सतत जारी है।
वेलस्पन पॉवर प्लांट के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ग्राम बुजबुजा एवं डोकरिया, बरही, कटनी (मध्य प्रदेश) में जबरन भूमि अधिग्रहण कर कंपनी को भूमि दी गयी थी। उक्त भूमि के चल रहे किसान आन्दोलन और उनको खेती के अधिकार से वंचित करने के लिए कंपनी ने अवैध रूप से गड्ढे खोदे, जिसके कारण किसान वर्ष 2010 से अधिग्रहित भूमि में खेती नहीं कर पा रहे हैं। किसानों की समस्याएं बढ़ती जा रही है और सरकार के क्रूर रवैये का एक बार किसानों की गिरफ्तारी के रूप में लोगों के सामने है। अपनी जमीन की वापसी के मांग लेकर लगभग 40-50 किसान कलेक्टर कार्यालय के समीप शांतिपूर्वक धरने बैठे थे। जिसके जवाब में उनकी समस्याएं सुनने के बजाये सभी किसानों को धारा 151 के तहत गिरफ्तार कर कटनी जेल भेज दिया गया। यह मध्य प्रदेश सरकार की किसानों के प्रति असंवेदनशीलता को दिखलाता है। जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, कंपनियों के फायदे के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किये गए किसानों की गिरफ्तारी की घोर निंदा करती है और पूरे प्रकरण को किसानों के संवैधानिक अधिकारों का हनन करार देती है।
जमीन वापसी के मांग के लिए आन्दोलित किसानों की कई बार गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। किसान संघर्ष के समर्थन में एनएपीएम हमेशा खड़ा रहा हैं और इसी कड़ी में किसान संघर्ष समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं जिला पंचायत सदस्य डॉ ए. के. खान व उनके कई साथी, जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की नेत्री मेधा पाटकर जी, डॉ सुनीलम, व कई अन्य के साथ बुजबुजा और डोकरिया गांव में उनके संघर्ष के समर्थन में तथा क्षेत्र के दौरे में जा चुके हैं।
भूमि अधिग्रहण कानून के तहत पांच वर्ष के भीतर यदि अधिग्रहित भूमि का प्रोजेक्ट के लिए में इस्तेमाल नहीं किया जाता तो उसे वापस किया जाना कानूनी बाध्यता है लेकिन ना तो कंपनी देश के कानून का सम्मान कर रही है और ना ही राज्य सरकार द्वारा किसानों के पक्ष में कंपनी को भूमि वापस करने के निर्देश दिये जा रहे हैं। देश में अब तक ऐसी कई परियोजनाओं के इलाके में जमीनें उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून के तहत वापस कराई जा चुकी हैं।
13 जून को हुए अहिंसक व शांतिपूर्ण धरने के दौरान किसानों पर एसडीएम द्वारा धारा 151 के तहत कार्यवाही कर कटनी जेल भेज दिया गया। सरकार की कार्यवाही अलोकतांत्रिक एवं अवैधानिक है। गिरफ्तारी के दौरान किसानों के मार पीट की गयी, जो कि पुलिस को सरकार द्वारा मिले अवैध संरक्षण को जगजाहिर करते हुए सरकार का किसानों के प्रति घिनौना चेहरा सामने लाता है।
किसान संघर्ष समिति व जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, सभी गिरफ्तार किसानों को तत्काल बिना शर्त रिहाई तथा किसानों पर लादे गए सभी झूठे मुकदमें वापस लेने की मांग करता है। इसके साथ किसानों से जबरन अधिगृहित की गयी जमीनें तुरंत वापस करने की मांग करते हुए चेतावनी देती है कि यदि समय रहते उक्त मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को तेज किया जाएगा।