जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की संयोजकों की तीन दिवसीय बैठक आज भोपाल में हुई संपन्न, देश भर के आंदोलनों से आये प्रतिनिधि।
साम्प्रदायिकता, फासीवाद, और संसाधनों की लूट के खिलाफ और सामाजिक न्याय एवं शान्ति के लिए देशव्यापी लोक संवाद यात्रा का किया एलान।
देश में साम्प्रदायिक गुटों द्वारा फैलाई जा रही नफरत और हिंसा के खिलाफ मजबूती से खड़ी एनएपीएम।
भोपाल | 16 जुलाई, 2017: जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की तीन दिवसीय समन्वयक बैठक आज भोपाल में संपन्न हुई। बैठक में राष्ट्रीय स्तर से लेकर जिला स्तर तक के प्रतिनिधियों ने बैठक में हिस्सा लिया और भारत में साम्प्रदायिकता, संसाधनों की लूट, और फासीवाद के बढ़ते जंजाल के खिलाफ गंभीर चर्चा करते हुए देश व्यापी अभियान का एलान किया।
एनएपीएम पिछले 23 वर्षों से लगातार विकास के जनपक्षी सच को सामने लाती रही है, बांधों के पर्यावरणीय प्रभाव, उससे व कई अन्य तथाकथित विकास के परियोजनाओं से होने वाले विस्थापन, संसाधनों की लूट, खेती किसानी पर बढ़ते संकट, आदिवासी, किसान, श्रमिक व अन्य शोषित वर्गों पर हो रहे कॉर्पोरेट के हमले के खिलाफ लोगों की आवाज मुखर करती रही है। इसी कड़ी में महिलाओं, ट्रांसजेंडर और क्वियर के संघर्षों के साथ चलते हुए समाज में स्थापित मतभेदों को ख़त्म करने के साथ समता, सादगी और स्वाम्लंबन के मूल्यों को भी हमेशा स्थापित किया है।
देश में भ्रस्टाचार, किसान आत्महत्या, शहरी व ग्रामीण विस्थापन, शिक्षा में सरकार छात्र विरोधी बदलाव, नोटबंदी, GST, औद्योगिक प्रदुषण, महिलाओं की आज़ादी पर बढ़ते हमले व साम्प्रदायिकता के कारण उभरते संकट पर गंभीर चर्चा हुई।
तीन दिन की बैठक में निम्न प्रस्ताव पारित किये गए :
– नर्मदा घाटी में मध्य प्रदेश, गुजरात सरकार, व केंद्र सरकार के गठजोड़ से पूरी नर्मदा घाटी को डूबाने की साज़िश और जबरन 31 जुलाई तक गाँव गाँव से लोगों को बिना सम्पूर्ण पुनर्वास जबरन निकालने की साज़िश के खिलाफ आवाहन करते हुए नर्मदा घाटी में लोगों के साथ खड़े होने का संकल्प लिया और देश के नागरिकों को देश भर से सामजिक न्याय के लिए नर्मदा घाटी पहुँचने की अपील की।
– अकलाख से लेकर जुनैद की साम्प्रदायिक हत्याओं के खिलाफ अमन शान्ति के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए, देश भर में उठ रहे आंदोलनों में भागीदारी लेते हुए सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ खड़े रहने को लेकर अपनी प्रतिबध्ता जाहिर की और आगे होने वाले एकजुट संघर्षों में सक्रिय होकर भागीदार बनेंगे।
– मंदसौर में किसानों की शासन द्वारा हत्या के एक महीने बाद शुरू हुई किसान मुक्ति यात्रा 6 राज्यों से होते हुए 18 जुलाई को दिल्ली पहुँच रही है और एनएपीएम इस यात्रा का समर्थन करते हुए पूरे देश के नागरिकों से दिल्ली में यात्रा से जुड़ने का आवाहन करती हैं।
– तमिलनाडू में चल रही कोस्टल कॉरिडोर विरोधी यात्रा को समर्थन जाहिर करते हुए सागरमाला योजना के खिलाफ कोस्टल राज्यों में अभियान चलाने के लिए एनऍफ़ऍफ़ व अन्य संगठनों के साथ देशव्यापी आन्दोलन तेज करने का प्रस्ताव पारित किया।
– कोवाड़ा, आंध्र प्रदेश में चल रहे अणु उर्जा विरोधी आन्दोलन को एनएपीएम समर्थन करता है और आंध्र प्रदेश सरकार की पूरे राज्य में 30000 मेगावाट अणु उर्जा उत्पादन की योजना को जन विरोधी और पर्यावरण के लिए खतरनाक बताते हैं। अणु उर्जा के भयानक प्रभाव जापान में साफ़ दिख रहे है। भारत जैसा घनी आबादी वाला देश कतई अणु उर्जा के विपरीत प्रभाव झेलने के लिए तैयार नहीं है और हम इनके खिलाफ चल रहे सभी आंदोलनों का समर्थन करते हुए सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैये के खिलाफ आन्दोलन तेज करने की चेतावनी देते हैं।
– मल्लानासागर, तेलंगाना में 400 से ज्यादा दिनों से चल रहे विस्थापन विरोधी संघर्ष का हम समर्थन करते हैं और लोगों के हक़ और अधिकार को ध्यान में रखते हुए तेलंगाना सरकार से कलेस्स्श्वरम प्रोजेक्ट पर पुनर्विचार करने की मांग करते हैं।
– मछुआरों के आजीविका पर संकट, पर्यावरणीय दुष्प्रभाव और सीएजी रिपोर्ट में जाहिर आर्थिक नुक्सान को देखते हुए विन्नियम कमर्शियल पोर्ट के काम को तुरंत बंद करते हुए इस योजना को खारिज करना चाहिए। हम एनएपीएम के साथी वहां चल रहे स्थानीय आंदोलनों को अपना पूरा समर्थन देते है और केरल सरकार से उनकी मांगों को सुनकर उसपर अमल करने की मांग करते हैं।
– एनएपीएम जी.एम. सरसों को नागरिकों के खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए इसकों मंजूरी ना देने की मांग करते हैं और राज्य सरकारों को अपने राज्य के नागरिकों के खाद्य सुरक्षा और जी.एम. के विश्व व्यापी दुस्प्रभाव को ध्यान में रखते हुए इसकी खिलाफत करने के लिए कटिबद्ध रहने की मांग करते हैं।
– हम आईओसी (कोच्ची) में चल रहे शांतिमय प्रदर्शनों और संघर्षों पर पुलिस की बर्बर और हिंसक कार्यवाही की घोर निंदा करते हैं, और मांग करते हैं कि वहां के लोगों के हक़ की रक्षा हो सके और हरित न्याय प्राधिकरण के फैसले के अनुसार पर्यावरण की रक्षा हो।
– हम केरल में प्राइवेट हॉस्पिटल में लगभग 5000 नर्स व अन्य कर्मचारियों को बहुत कम वेतन दिए जाने के खिलाफ और उनके मानवीय हकों के लिए चल रहे आन्दोलन को समर्थन देते हैं और इसके साथ केरल सरकार से मांग करते हैं कि उनकी मांगे उनसे मिलकर सुने व उनके मांगों को स्वीकार करे।
– नोटबंदी में किसान मजदूर के तबाह होने के बाद अब GST की मार छोटे उद्यमियों और असंगठित कामगारों पड़ रही है। राज्यों की लोकतान्त्रिक स्वतंत्रता GST से खत्म होने के बाद आर्थिक नुकसानों की भरपाई कई कल्याणकारी योजनों के फण्ड से होने वाला है। इसका विरोध साफ़ तौर पर गुजरात, केरल और तमिलनाडू के आंदोलनों से दिख रहा है, एनएपीएम उन सभी अन्दोलानों को अपना समर्थन देता है।
– देश भर के छात्रों के साथ हो रहे अन्याय, चाहे NET की परीक्षा अचानक से जुलाई में ख़त्म कर देना, शोध के लिए विश्वविद्यालयों में छात्राओं का प्रवेश कम कर देना, छात्रवृति खत्म करना, आधार को छात्रों के ऊपर अलग अलग तरह से थोपना, सभी में छात्र आंदोलनों और उनके संघर्ष के साथ एनएपीएम अपना समर्थन जाहिर करता है।
– नियमगिरि का संघर्ष एक शांतिमय आन्दोलन रहा है, और वहां के साथी हमेशा अपने हकों और अधिकारों के लिए संघर्षरत रहे है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को स्वीकारा है और ग्राम सभा के हक़ की रक्षा में फैसले दिए थे। ऐसे आन्दोलन को सरकार द्वारा किसी भी तरह के हिंसक आंदोलनों के रूप चर्चित करने के प्रयास का हम खंडन करते है और इनके साथियों के ऊपर लगाये जा रहे झूठे प्रकरण के खिलाफ आन्दोलन के संघर्षशील साथियों के साथ खड़े हैं।
– पिछले वर्ष उना से शुरू हुए आन्दोलन की दूसरी कड़ी आज़ादी कूच यात्रा के रूप में शुरू हुई है, इसको एनएपीएम पूर्ण समर्थन देता है, और आन्दोलन व उनके साथियों पर हो रहे हमले का कड़ी शब्दों में निंदा करता है।
– राष्ट्रीय उर्जा नीति का मसौदा नीति आयोग ने 27 जून को जाहिर किया है जिसपर 24 जुलाई, 2017 तक अपने सुझाव देने है, एनएपीएम एक विस्तृत सुझाव सभी साथी जनांदोलनों से चर्चा कर 24 जुलाई तक नीति आयोग को सुझाव भेजेंगे।
प्रस्तावित कार्यक्रम :
– 23 जुलाई 2017 को RCEP People’s Convention हैदराबाद में भारत सरकार द्वारा की जा रही RCEP Ministrial Summit के अलग होगी, इसमें लोगों के मुद्दे और जनांदोलनों के तरफ से सुझाव सरकार को दिए जायेंगे।
– 16 अगस्त से 16 अक्टूबर तक Save Western Ghat यात्रा केरल में होगी जिसका एनएपीएम के सभी राज्यों के साथियों ने समर्थन किया और केरल के आस पास के सभी राज्यों ने साझा अभियान का प्रस्ताव रखा। यात्रा में वेस्टर्न घाट के पर्यावरणीय मुद्दे प्रमुख होंगे।
– 7 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक किसानों के मुद्दे लेकर एनएपीएम बिहार के साथी किसानों के साथ यात्रा निकालेंगे।
– 2 अक्टूबर से सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ और शान्ति की पहल लेकर ‘नफरत के खिलाफ, इंसानियत के वास्ते’ यात्रा शुरू होगी।
– 10 दिसम्बर को मानव अधिकार दिवस के अवसर पर देश भर में मानव अधिकारों के हनन और फैलती साम्प्रदायिकता, संसाधनों की लूट और फासीवाद के खिलाफ एनएपीएम के साथी 20 जगहों पर प्रदर्शन करते हुए जन जागरण करेगी।
– दिसम्बर, 2017 तक दो दिवसीय राज्य स्तरीय समाज, संसाधन और संविधान बचाओ सम्मलेन अलग अलग राज्यों में आयोजित किये जायेंगे।
– जनवरी, 2018 में साम्प्रदायिकता, फासीवाद, और संसाधनों की लूट के खिलाफ और सामाजिक न्याय एवं शान्ति के लिए देशव्यापी लोक संवाद यात्रा।
इसके साथ एनएपीएम के सांगठनिक विस्तार के अंतर्गत राज्यों में जिलास्तर पर वहां चल रहे आंदोलनों के साथियों को जोड़ते हुए देश के परिपेक्ष्य में आंदोलनों को बढाने के लिए देशव्यापी मुद्दों पर आगे आने के लिए 100 जिला संयोजकों बनाने के लक्ष्य को आगे बढाते हुए 200 जिला संयोजकों का किया गया है।