प्रेस विज्ञप्ति | जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) | 30 अगस्त, 2017
तुरामडीह, झारखण्ड में यूरेनियम खनन के खिलाफ अनिश्चितकालीन अनशन का आज 17वां दिन, झारखण्ड व केंद्र सरकार लोगों की समस्याओं पर मौन
पूरे इलाके के जल स्रोत हो रहे प्रदूषित, जानलेवा बीमारियाँ से ग्रसित हो रहे ग्रामीण
ग्रामीण टैंकर के पानी के भरोसे गुजार रहे ज़िन्दगी, टैंकर नहीं आने पर मजबूरन प्रदूषित पानी पीने को मजबूर जनता
{फोटो क्रेडिट – संघर्ष संवाद}
नई दिल्ली | 30 अगस्त, 2017 : तुरामडीह, झारखण्ड में यूरेनियम खदान से विस्थापित हुए लोगों व आसपास के ग्रामीणों की जिंदगी और आजीविका खतरे में है जिसके कारण तुरामडीह विस्थापित समिति के बैनर तले कई विस्थापित अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हैं। आज अनशन का 17वां दिन है और सरकार तथा प्रशासन हमेशा की तरह मूक बनकर लोकतंत्र का घोर अपमान और विस्थापितों की माँगों को अनसुना कर रही है। जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) अनशनकारियों के संघर्ष और माँगों का समर्थन करती है और सरकार के रवैये को घोर अलोकतांत्रिक बताते हुए कड़ी निंदा करती है।
तुरामडीह यूरेनियम खदान जादूगोड़ा से 24 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है व यह 2003 में आरम्भ हुआ था। शुरुआत से ही कई समस्याएं सरकार के सामने रखी गयी थी और लोगों के स्वास्थ्य और जल स्रोतों पर भविष्य में पड़ने वाले प्रभावों के बारे में चेताया गया था। पुनर्वास लाभ के नाम पर दिए गए नौकरियों में भी काफी गड़बड़ियां हुई जिसको लगातार विस्थापितों ने उठाया और नौकरी से निकाले जाने पर विरोध भी दर्ज किया। लेकिन सरकार और कंपनी के मंसूबे अलग लगते हैं जब कई जागरूक लोगों को एक के बाद एक करके निकाला जा रहा है और गैर विस्थापितों को नौकरी दी जा रही है। भ्रष्टाचार चरम पर है, अनियमितताओं या भ्रष्टाचार उजागर करने वाले लोगों के परिवारों को नौकरी से निकाल दिया जाता है और सुरक्षा में चूक होने के कारण हुए मौतों और प्रदूषण पर पर्दा डाल दिया जाता है।
जल स्रोतों का बुरा हाल हो चूका है जब खेती में उपयोग आने वाले जल स्रोत प्रदूषित होकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं तब पीने के लिए मौजूद साधन भी प्रदूषण के चपेट में आ चुके है। नल, कुएं, तालाब के पानी पीने लायक नहीं रहे और कई जानलेवा बीमारियों का कारण बन रही है, लोग टैंकर के पानी पर पूरी तरह से आश्रित हैं जो कई-कई दिनों में लोगों को मुहैया कराई जाती है। ऐसी स्थिति में यूरेनियम खदान लोगों की ज़िन्दगी के लिए अभिशाप बन गयी है और जीने के लिए जरुरी प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद कर रही है। पिछले साल तीन मजदूरों की मौत हो चुकी है, सुरक्षा उपायों के अभाव में। ट्रकों में खुले में ढुलाई होती है, व निष्पादन के लिए बनाये गए टेलिंग पोंड्स में जहरीले अवशेष को छोड़ दिया जाता है। ऐसी अनियमितताओं के बीच वहां काम करने वाले मजदूरों और अन्य कर्मचारियों को भारी जोखिम का सामना करना पड़ता है और कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।
ऐसे में पिछले 17 दिन से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे विस्थापितों का जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) समर्थन करता है और सरकार को तुरंत मौन तोड़ते हुए विस्थापितों के समस्याओं व मांगों को लेकर संवाद शुरू करने व उसका शीघ्र निराकरण करने का आग्रह करती है।
अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर देखें या napmindia@gmail.com पर ईमेल करें – https://www.youtube.com/watch?v=EJ569cSo6n4
Attachments area
Preview YouTube video तुरामडीह विस्थापित समिति जमशेदपुर पूर्वी सिंहभूम