नर्मदा सत्याग्रह के दूसरे दिन बड़वानी पहुँचे कांग्रेस के 28 विधायक, नर्मदा घाटी के लोगों के साथ हर संकट में साथ देने का लिया संकल्प।
बड़वानी, मध्य प्रदेश | 28 जुलाई, 2017: नर्मदा घाटी के पश्चिम निमाड़ के सरदार सरोवर की डूब से बिना पुनर्वास बर्बादी के खिलाफ लड़ रहे हैं। हम 9 महिलाएं व 3 भाइयों के सहित 12 प्रतिनिधियों के अनिश्चितकालीन उपवास का आज दूसरा दिन है। 31 जुलाई के बाद, 141 गाँवों के 18386 परिवारों को जबरन हटाने की घोषणा, गजट राजपत्र के द्वारा करने के बाद, बाँध के गेट्स बंद हुए हैं, तो 138.62 मीटर तक पानी भरने के लिए पुलिस बल से जबरन गाँव, खेट, मकान, दुकान, मंदिर, मस्जिद, शालाएं…. सब खाली करवाने की धमकियाँ शासन बार बार जाहिर कर रही है। जल प्रलय से समृद्ध खेती, पीढ़ियों पुरानी संस्कृति, प्रकृति, यहाँ का जीवन ही बगैर न्यायपूर्ण, संपूर्ण पुनर्वास के, उखाड़ना हमे नामंजूर है। झूठे दावे, झूठे आंकड़े, झूठे शपथपत्रों को बाजू में रखकर अब जरुरी है निर्णय कि हर गाँव की सच्चाई ग्राम सभा से प्रस्ताव के रूप में जांच ले और हर एक विस्थापित परिवार को उसका पूरा हक दिया जाए। बिना पुनर्वास लाखों लोगों को जल समाधि देने वाला122 मीटर से ऊपर 139 मीटर ऊंचाई तक का पानी इस साल नहीं भर सकते, इस निश्चय और सत्याग्रह के साथ नर्मदा घाटी में सशक्त संघर्ष जारी है।
इस बीच मध्य प्रदेश प्रशासन गाँवों में जाकर बहुत सारे भ्रम फैलाने में लगी हुई है। कल जब राजघाट, बड़वानी में गाँधी जी की समाधि जबरन पुलिस बल से उखाड़ने का काम चल रहा था, उसी वक़्त धार जिले के कलेक्टर सहित तमाम अधिकारी बड़ा बड़दा जैसे मनावर तहसील के गाँव में पहुँच कर दवाब डालकर कुछ वचनपत्र, जिसके अनुसार 31 जुलाई के पहले घर – गाँव छोड़ने की लिखित मंजूरी देनी थी, भरवा लिये। बाद में यह पता चलने पर कि वचनपत्र भरके लाभ देने वालों में वर्षों पहले गाँव छोड़कर गए परिवार है तो उनके वचनपत्र पंचायत सचिव को रद्द करने पड़े। शासन की कोशिश हैं, वचन पत्र भर के बताकर झूठे आंकड़ों से पुनर्वास में प्रगति दिखाये।
वहीँ दूसरी ओर लालसिंग आर्य, नर्मदा विकास मंत्री ने पिछले कुछ महीनों में 9300 परिवारों ने गाँव छोड़ा है, यह झूठा वक्तव्य देकर गाँववासीयों को स्पष्ट दिखा दिया है कि मध्य प्रदेश शासन सत्यवादी नहीं है।
वहीँ जब 26 जुलाई 2017 को विधानसभा में विपक्ष के सरदार सरोवर विस्थापितों के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा का प्रस्ताव रखा तो इसको ठुकराते हुए सदन स्थगित किया गया। जिसके विरोध में विपक्ष के सभी सांसदों ने विधानसभा के सामने धरना दिया तथा फिर मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च किया | शिवराज सिंह सरकार द्वारा विधानसभा स्थगित करने, चोरी छिपे, बिना ग्राम सभा से सलाह लिए गाँधी समाधि को गैर क़ानूनी तरह से विस्थापित करने और नर्मदा घाटी के लाखों पर दमन और जल हत्या की जिस तरह यह सरकार तैयारी कर रही है उसके खिलाफ आज झंडा चौक, बड़वानी में कांग्रेस के 28 विधायक सामूहिक रूप से विस्थापितों के समर्थन में आये और मध्य प्रदेश में चल रहे घोर अन्यायकारी जलहत्या की साज़िश का खुलकर विरोध किया।
आम सभा की शुरुआत चिन्मय मिश्र जी ने 32 वर्षों की लड़ाई के बारे में संक्षिप्त में बताते हुए लोगों के संकल्प को ना टूटने वाला बताया और कहा कि लोग 31 जुलाई के बाद भी नहीं हटने वाले हैं। आज तक जब भी सरकारी दमन झेला है नर्मदा घाटी के लोगों ने तो सत्ता में बीजेपी को ही पाया है। शासन क्रूर हो चूका है और अब जब गुजरात में नहरों में अतिरिक्त पानी भर गया है तो नर्मदा घाटी के लोगों को सरदार सरोवर के गेट्स बंद कर क्यूँ डूबाने की तैयारी हो रही है?
विपक्ष के नेता अजय सिंह ने खुले तौर पर कहा कि शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं गुजरात के उप मुख्यमंत्री हैं और उन्हें विस्थापितों से ना बात करते हुए दलालों के साथ बैठक करने वाला बताया। गाँधी समाधि को तोड़ने वाली गोडसे समर्थक सरकार का असली चेहरा सामने आ गया है। इसके साथ उन्होंने विस्थापितों के हितों की रक्षा के लिए अपना पूरा समर्थन देने की बात रखी और कहा कि नर्मदा घाटी के लोगों की आवाज़ लोकसभा में हमारे नेता श्री राहुल गाँधी जी भी उठाएंगे और अगर इस बार कांग्रेस की सरकार आती है तो वो बाँध की ऊंचाई को कम करेंगे।
अरुण यादव, अध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने गाँधी समाधि की चोरी को बापू का ही नहीं बल्कि पूरे देश के लोगों का अपमान बताया। इसके साथ बीजेपी की केंद्रीय व राज्य सरकार को जनता के प्रति संवेदनहीन बताते हुए संवादहीनता की भी निंदा की। वर्तमान सरकार सिर्फ उद्योगपतिओं के हितों के लिए काम कर रही है और इसका सीधा उदाहरण सरदार सरोवर बाँध और इसके लाभ हैं।
बाला बच्चन, विधायक राजपुर, पूर्व में भी आन्दोलन को समर्थन करते आये हैं। उन्होंने कहा शिवराज सिंह चौहान, ना ही विस्थापितों से बात करते हैं और ना ही उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों से। घाटी में लगभग 60% भूमिहीन रहते हैं और उनके बारे में मध्य प्रदेश सरकार चुप्पी साधे बैठी है। इस संवेदनहीनता के हम खिलाफ हैं और उनके हकों के लिए आन्दोलन को समर्थन करते हुए लड़ाई जारी रखेंगे।
जीतू पटवारी, विधायक मऊ ने मध्य प्रदेश सरकार को जिस जनता ने उन्हें चुना है उनके साथ ही विश्वासघात करने वाला बताया और सत्ता के नाम पर कुछ भी हथकंडे अपनाने वाला बताया, जैसे गौरक्षा और सेवा के नाम पर पूरे देश में हल्ला मचाने वाली सरकार नर्मदा घाटी में लाखों डूबने वाले मवेशियों पर चुप है। इसके साथ उन्होंने नर्मदा घाटी के निवासियों को हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहने का आवाहन किया और अपना समर्थन अंतिम लड़ाई तक जाहिर किया।
जय वर्धन सिंह ने मुख्यमंत्री के कायरता को ललकारते हुए शिवराज सिंह चौहान को चर्चा के लिए खुले आम चुनौती दी और आन्दोलन की लड़ाई में डूब में आने वाले सभी 40000 से अधिक परिवारों के साथ खड़े रहने का भरोसा दिलाया।
इसके साथ घाटी से सनोबर बी ने कल की घटना की निंदा करते हुए सरकार पर प्रहार करते हुए बोला कि जिस सरकार को हमने चुना आज वो ही हमारी जलहत्या करने पर तुली है और अगर सरकार भी लोकतंत्र में विश्वास रखती है तो उन्हें घाटी में आकर लोगों और 32 साल से लोगों के हकों के लिए संघर्षरत आन्दोलन से बात करनी चाहिए।
गुजरात में बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है। जिन जलाशयों में नर्मदा पानी संगृहीत करना था, वह भरकर बह रहे हैं। तो इस साल गेट्स खुले रखकर मध्य प्रदेश की जनता को बचाने का आग्रह अगर मध्य प्रदेश शासन नहीं करती है, तो निश्चित ही जनता उन्हें अपने नुमाइंदे, जनप्रतिनिधि मानना बंद करेंगे।
नर्मदा घाटी के विस्थापितों की जलहत्या रोकने और सही, न्यायपूर्ण और सम्पूर्ण पुनर्वास के लिए जारी किये ऑनलाइन पीटीशन पर भारत के अलावा 29 देश के लोगों ने हस्ताक्षर किये हैं, जिनमें प्रसिद्द विचारक प्रो. नोंम चोमस्की भी एक हैं। इसके साथ Asian Peasant Coalition, जिनके एशिया में डेढ़ करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं व 42 साथी संगठन जो एशिया के 10 देशों में आन्दोलनरत हैं, का समर्थन नर्मदा बचाओ आन्दोलन को आया है। ऑनलाइन पीटीशन सीधे में प्रमुख पांच मांगों पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आदेश देने का आग्रह किया गया है जिसमें मध्य प्रदेश सरकार को विस्तृत सर्वे हुए सरदार सरोवर बाँध के गेट्स बंद करने से पहले सभी विस्थापितों का पुनर्वास सुनिश्चित किया जाए; पेसा कानून की धारा 4 के तहत सभी ग्राम सभा से पुनर्वास के सही इंतजाम और सुविधाओं पर राय लिया जाए; मध्य प्रदेश सरकार को विस्थापितों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मुआवजा व पुनर्वास के साथ साथ भूमिहीनों, मछुआरों, कुम्हारों, आदिवासियों के लिए वैकल्पिक आजीविका सुनिश्चित की जाए; NCA, NVDA, GRA सभी सरकारी संस्थाओं से पूरे हुए कार्यों की सूची ली जाए ताकि बचे हुए कार्य अच्छे तरीके से हो पाए; और आखिरी में मध्य प्रदेश सरकार को एक समिति गठित करने का आदेश दे जिससे पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का सही आंकलन किया जा सके, ऐसा आदेश करने का आग्रह किया गया है।
लेकिन इन सभी बातों का असर सरकार पर पड़ता नहीं दिख रहा जब खुद नरेन्द्र मोदी गुजरात में 12 अगस्त को आयोजित नर्मदा महोत्सव में आकर लाखों लोगों की जलहत्या पर 2000 पंडितों के साथ भव्य आरती करते हुए उत्सव में भागीदार होने का कार्यक्रम तय कर चुके हैं।
इन सभी चुनौतियों का सामना करते हुए उपवास स्थल पर गाँव गाँव की जनता 31 जुलाई के बाद भी डटने के निश्चय के साथ संघर्षरत है। उपवास कर्ताओं ने शासन के डॉक्टर और एसडीएम, कुक्षी को स्वास्थ्य परीक्षण नकारकर वापस भेज दिया।
31 जुलाई को समर्थन में होंगे कार्यक्रम।
गुजरात के वरिष्ठ सर्वोदयी शिक्षाविद ज्योतिभाई देसाई, रोहित प्रजापति, आनंद मज्गओंकर, लखन भाई, व माइकल मज्गओंकर उपवास स्थल पर, चिखल्दा में आये और इन्होने गुजरात की जनता का हुआ भ्रम निराशाजनक बताया। कोका कोला और अन्य कंपनियों को पानी मुफ्त दान में दिया है। तो इस साल गुजरात को पानी की जरुरत न होते हुए जरुरी है, निमाड़, मध्य प्रदेश को बचाना।
31 जुलाई को महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार जैसे कई राज्यों में होगा समर्थन कार्यक्रम।