बडवानी जिले के करी गाँव में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने बढाई डूब की सीमा
31 साल बाद भी, सरकार के पास डूब प्रभावित गाँव और परिवार की सही संख्या नहीं
उच्चतम न्यायलय के आदेश की आड़ में मध्य प्रदेश सरकार कर रही अत्याचार
बडवानी जिले के करी गाँव में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारियो ने किया दौरा, डूब की सीमा को 3 मीटर और बढाया| सबसे पहले इस गाँव की डूब सीमा 436 मी. थी जिसे बाद में न.घा.वि.प्रा द्वारा बढ़ा कर 452 मी. कर दिया गया| वर्तमान में इस सीमा को 3 मी. और बढाने से 3-4 और घर डूब क्षेत्र में आ गए है| जब गाँव के लोगो ने अधिकारियो से सवाल पूछे तो उन्होंने कहा की “इससे आपको कुछ फ़ायदा होगा”| लेकिन गाँव वालो के नोटिस मांगने पर न.घा.वि.प्रा के अधिकारियो ने बताया की वे डूब सीमा को बढ़ा रहे है| जिस समय डूब की सीमा 436 मी. थी तब करी गाँव 80% डूब में आता था लेकिन अब 455 मी. कर देने पर गाँव 100% डूब में आ गया है|
न.घा.वि.प्रा के अधिकारियो के जवाबों से साफ़ ज़ाहिर होता है की किस तरह वे लोगो को अँधेरे में रख कर, बिना किसी जानकारी दिए, डूब की सीमा को गैर क़ानूनी तरीके से बढ़ा रही है| एक तरफ, जहाँ सरकार, बिना पुनर्वास किये 192 गाँव और 1 नगर को डूबाने की तैयारी कर रही है और उच्चतम न्यायलय के आदेश का पालन करने का दावा दे रही है वहां ऐसी घटनाओं से स्पष्ट होता है की सरकार ने अभी तक, कितने गाँव और परिवार डूबेंगे, इस अहम बात का भी सही तरह से सर्वे नहीं किया है| मध्य प्रदेश सरकार आज तक भी डूब प्रभावित परिवारों की सही संख्या सबके सामने नहीं ला पाई है और इसका प्रमाण, एक्शन टेकन रिपोर्ट- 2008 में सरकार द्वारा दी गई डूब प्रभावित परिवारों की 31,180 संख्या को गजट 2017 में 18,346 तक कर देना है| क्या मध्य प्रदेश सरकार, बिना किसी आधार के आंकड़ो पर नर्मदा घाटी के 192 गाँव और 1 नगर का पुनर्वास करने का सोच रही है? या बिना सर्वे किये, बिना पुनर्वास किये लाखो लोगो की जल समाधी बनाने की तयारी में है?
राहुल यादव, मुकेश भगोरिया