बड़वानी | 18 जून, 2017: “कल 17 जून के दिन गुजरात के मुख्यमंत्री ने गोपनीय पध्यति से जयप्रकाश कंस्ट्रक्शन (कंपनी) के हेलीकाप्टर से सरदार सरोवर बाँध स्थल पर जाकर पूजा के साथ 30 में से 5 गेट्स बंद करने का कार्य किया जो की पूर्णतः अवैध और अन्यायकारक ही नहीं, अमानवीय भी है।“
यह आवाज आज कुक्षी नगर में (जिला धार) इक्कठे हुए कुक्षी तह्सील के ही गाँव से आये हजारों विस्थापितों से उठी। धार जिले के 76 गाँवों के 6132 परिवारों को उनके घरों से तथा दुकानें, शालाएं, धर्मशालाएं, मंदिर, मस्जिद सभी धार्मिक स्थल हो या रोजीरोटी के साधन, सबकुछ खाली करने की शासन की तैयारी का हर दिन, हर रात विरोध करते आये हैं। बड़वानी धार, खरगोन के (पश्चिम निमाड़) तथा अलीराजपुर जिले के मध्य प्रदेश के कुल 40,000 तक परिवार जबकि आज भी लाभ न मिलते हुए जबकि जबकि गाँवों में ही बसे हैं, तब सर्वोच्च अदालत के 2000 से 2017 तक के फैसले हो या नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसले के आधार पर और राज्य की पुनर्वास नीति का भी पालन जबकि पूरा नहीं हुआ है तब गेट बंद करना घोर अपराध है। इन सभी परिवारों को न केवल मकानों का, पेड़ और मवेशियों को भी जलसमाधि देने की गुजरात की राजनीति के सामने एक लब्ज न निकालने वाले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और मात्र गुजरात की गुलामी के कारण किसान-मजदूर विरोधी इतनी बड़ी हत्यारी साज़िश करने वाली मध्य प्रदेश शासन का धिक्कार किया, सनोबर बी मंसूरी ने।
भागीरथ धनगर, ग्राम चिखल्दा ने कहा, नर्मदा हमारी धरोहर है, पूँजी नहीं। इसे पूंजीपतियों की जागीर मानकर लूटने का अधिकार किसी को नहीं है। अगर हमें बिना पुनर्वास डूबाने की या हिंसक बल पर हमारा विस्थापन करने की हिम्मत शिवराज सिंह चौहान करेगा तो उसे सत्ता से नीचे उतारे बिना नहीं रहेगी निमाड़ की जनता।
नर्मदा भक्त यहाँ की जनता होते हुए, नर्मदा भक्ति और नर्मदा सेवा का ढोंग रचाकर जिस तरह मध्य प्रदेश की शासन जाते जागते गाँवों को उखाड़ने की सोच रही है, उससे साफ़ है कि उसे कठपुतली जैसे दिल्ली का तख़्त नचा रहे हैं। आज ही परीक्षा है कि क्या मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री या प्रशासन राज्य के आम लोगों की नुमाइंदिगी करेंगे, यह देखने की? 2008 से पुनर्वास पूरा हुआ है, यह दावा या संख्या का खेल हमने बहुत देखा है। मध्य प्रदेश ने 25 मई 2017 को जाहिर किया राजपत्र हो, इसमें कितनी गंभीर त्रुटियों और गलतियाँ है, यह हम ही बता सकते हैं। इसलिए गुजरात के मुख्यमंत्री का यह बयान कि मध्य प्रदेश में पुनर्वास सबसे पहले पूरा हुए हैं, न केवल हास्यात्मक बल्कि धिक्कारजनक है।
युवा साथी विजय मरोला ने कहा, नर्मदा के युवा भी तैयार है, अगर शासन ने युद्ध खेलना ही चाहे। हमारा भविष्य डूबाने वाले हमारे नुमाईंदे नहीं हो सकते। हमारी ग्रामसभा का ही निर्णय अंतिम है और रहेगा।
निसरपुर नगरवासी हर दिन अपने 3000 परिवारों का 46 धार्मिक स्थलों का, 3500 बड़े पेड़ों का हजारों मवेशियों, सैकड़ों व्यवसायी को, का गाँव उजाड़ने के खिलाफ लगातार संघर्षरत हैं। उनकी ओर से मुकेश सिपाही, सुरेश पाटीदार ने आमसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा गाँव डूबाकर तो देखे सरकार, उसे जन्मभर याद रहेगी अपने पापकर्म की। निसरपुर के कुम्हार, मछुआरे, व्यापारी हो या कितना मजदूर अपनी मातृभूमि के लिए एक होकर लड़ेंगे। प्रशासन मात्र संगठित शक्ति को तोड़ने और झूठे वचनपत्र तथा आश्वासनों से गरीबों को विशेषतः उठने के लिए मजबूर करने की खिलाफत भी उन्होंने की।
देवराम कनेरा ने मंदसौर में हुई किसान हत्या की तुलना निमाड़ में, नर्मदा घाटी के किसान-मजदूरों की जलहत्या से की और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को किसानों के विरोधी करार करते हुए कहा कि यह काम करोगे तो नर्मदा ही तुम्हारा राजनीतिक अंत लाएगी।
कुक्षी जिले के विधायक सुरेन्द्र बघेल ने आन्दोलन को पूर्ण समर्थन देते हुए कहा कि जब तक लोगों को न्याय नहीं मिल जाता और उनकी न्याय और हक की लड़ाई चलती रहेगी उनका समर्थन और सहयोग लोगों के बीच बना रहेगा।
मेधा पाटकर ने कहा कि गुजरात और मध्य प्रदेश की सरकारों ने मिलकर, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश के विस्थापितों की न केवल अवमानना की है बल्कि उनकी धरोहर, नर्मदा की संस्कृति और प्रकृति के विनाश की नींव रचना चाही है। इस साज़िश का नाम विकास नहीं हो सकता। गुजरात शासन और मोदी शासन एक ही है। उन्होंने मात्र चुनावी मकसद और कंपनीवादी आर्थिक सोच के लिए धरती और नदी से जुड़े समाजों का प्रलय से टकराने मजबूर करना चाहा है। लेकिन देश में अगर न्याय और जनतंत्र जीवित है तो जरुर हमे आज भी न्याय मिलेगा।
आज भी हमारी पुकार है कि पाँचों गेट्स तत्काल खोले जाए और गेट बंद करना, हर अंतिम व्यक्ति का पुनर्वास नहीं होगा, तब तक मौकूफ रखे। घाटी की जनता ने कुछ दशलक्ष बढ़े, रात को पुराने पेड़ों का विनाश करके फल-फूल झाड़ लगाने का पौधारोपण को हास्यापद घोषित किया।
आन्दोलन ने घोषणा की अब हर रोज वो अपना विरोध तेज करते जायेंगे और माध्यामकर्ताओं को एलान किया कि देश के विकास और जनतंत्र के इतिहास में लिखा जा रहा शासकीय हिंसा और जन आन्दोलन की अहिंसा के बीच के टकराव की तथा नर्मदा घाटी की सच्चाई और हकीकत को वो जनता के सामने रखे, ना कि गांधीनगर, दिल्ली या भोपाल से डाली जा रही झूठी खबरे और झूठे आंकड़ों को।
कमला यादव, राहुल यादव, मोहन पाटीदार, वाहिद भाई, विमला बहन
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