मध्य प्रदेश के राजस्व विभाग की पोल-खोल
किसानों को फसल बीमा नहीं, बड़े प्रकल्पों को खुली छूट
15 जनवरी 2016 । अग्रसेन चौक, रीवा जिला, मध्य प्रदेश
11 जनवरी को छिंदवाड़ा से शुरू हुई जन अधिकार यात्रा मुलताई-इटारसी-कटनी-जबलपुर-सीधी होते हुए आज 15 जनवरी को मेधा पाटकर की अगुवाई में, डॉ. सुनीलम, अधिवक्ता आराधना भार्गव, अखिल भारतीय किसान सभा के जसविंदर सिंह, रामनारायण कुररिया, सी पी एम् के बादल सरोज, एनबीए के देवराम कनेरिया, विमला बहन, यू.पी. के किसान समन्वय के साथी राघवेन्द्र सिंह के साथ रीवा, मध्य प्रदेश पहुँची हैं। मजदूरों, किसानों, मछुआरों के हक़ की लड़ाई इस यात्रा के माध्यम से लड़ी जा रही है|
सभा में आये यहाँ के स्थायी निवासी जो सरकार के भूमि आधिग्रहण अध्यादेश से जूझ रहें हैं | जो कारपोरेट की लूट से जूझ रहें हैं | यहाँ के स्थायी निवासी अपना दल के सूर्यमान सिंह ने कहा कि आज रीवा जिले का प्रत्येक किसान सरकार और कारपोरेट के लूट से तबाह हो चुका है और रीवा के ही प्रान्तीय अध्यक्ष अपना दल के बुद्धसेन सिंह ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश होते हुये भी आज कृषि करने वाला प्रत्येक किसान भूखों मर रहा है | आज मध्य प्रदेश में ही 5 महीनों में तक़रीबन 300 किसानों ने आत्महत्या कर ली | सरकार की सारी योजनाओं का प्रभाव किसानों के जीवन पर पड़ रहा है | आज नौकरशाहों के वेतन तो रोज बढ़ाने के आदेश आ जाते हैं किन्तु आज किसानों के वेतन की बात तो दूर उसको उसका हक़, मुआबजा तक नहीं दिया जा रहा है |
मध्य प्रदेश के किसान नेता जनक राठौड़ ने कहा कि आज किसान खेती छोड़ रहें हैं | सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि किसानों को इस देश में कैसे बचाया जाये, पर बचाये कौन क्योंकि सरकार तो खुद ही कारपोरेट का सबसे बड़ा साथी बन चुका है जो किसानों को लूट रहा है | आज हमें खुद जागना होगा और खुद ही परिवर्तन लाना होगा | आज हम मांग करते हैं कि किसानो को भी 2000 रूपये पेंसन मिले |
वीरेंद्र सिंह ने कहा कि जमौड़ा में नील गाय की समस्या सबसे ज्यादा है किन्तु वन विभाग किसानों की शिकायत नहीं सुनता है और जब रीवा के राजकुमार से शिकायत की गयी तो उन्होंने भी कोई किसानों का साथ नहीं दिया |
जन अधिकार यात्रा के सदस्य उत्तर प्रदेश के राघवेंद्र सिंह ने कहा कि डॉ आम्बेडकर ने कहा है कि जमीन भारत का आधार है, किसान इस देश का अन्नदाता है पर आज सरकार उसी को ही नष्ट करने पर आतुर है |
रीवा के कृष्ण कुमार जी ने कहा कि लोगों से अपील की कि इस जल, जंगल,जमीन के लूट के खिलाफ इस यात्रा से जुड़े और 24 फरवरी को होने वाले दिल्ली के किसान रैली में अपने हक के लिए लड़ने जरूर आये |
जन अधिकार यात्रा में आयीं पत्रकार जुलेखा जबीं ने कहा आज भारत के प्रधानमंत्री ने कूटनीति के नाम पर देश के मुँह पर कालिख लगा दी है | आज सरकार दिल्ली में गरीब छात्रों की छात्रवृत्ति भी बंद कर रही है जिससे आज भारत का युवा पढ़-लिखकर सरकार से सवाल जवाब तक न कर सके | आज कारपोरेट की लूट में सरकार शामिल होकर उद्योगपतियों की जेबें भर रही है |
किसान संघर्ष समिति की उपाध्यक्ष और छिन्दवाडा में अदानी पॉवर प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली अधिवक्ता आराधना भार्गव ने कहा कि कॉर्पोरेट कंपनियों के बड़े बड़े प्रकल्पों के बनने से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में लोगों को आगाह किया तथा स्मार्ट सिटी के कारण फेरीवालों, किसानो, मजदूरों और मछुवारों की जीविका छिनने की आशंका जताते हुये इन प्रकल्पों के खिलफ संघर्ष करने का आवाहन किया |
सीपीएम् के बादल सरोज ने कहा कि अपनी राजनीतिक संकीर्णताओं को छोड़कर एक मंच पर आने की आवश्यकता पर जोर देते हुये जन अधिकार यात्रा में बड़ी संख्या में आने का आवाहन किया | किसानों, मजदूरों और आदिवासियों का शोषण करने वाली मध्य प्रदेश और भारत सरकार की निंदा करते हुये उसे पूंजीपतियों का सरमायादार बताया | अदानी की कच्छ में बन रही बिजली को पाकिस्तान को बेचने के लिए आनन-फानन में पाकिस्तान की यात्रा करने पर नरेन्द्र मोदी की निंदा की |
डॉ. सुनीलम – मोदी सरकार द्वारा कोर्पोरेट को 40% की छूट देने की निंदा की | पैसे न होने का रोना रोकर मध्य प्रदेश में 9 महीने से विकलांगों को पेंशन नहीं दी है | राजस्व विभाग, मध्य प्रदेश ने किसानों को फसल बीमा नहीं बाँटा है, सूखे से प्रभावित सोयाबीन की ख़राब हुयी फसल के मुआवज़ा देने में बड़े पैमाने पर हुयी धांधलियों की पोलखोल की |
अंत में नर्मदा बचाओ आन्दोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने आग्रह किया कि आज किसानों को आपस में समन्वय बनाकर चलना होगा क्यूंकि आज सरकार किसान विरोधी नीति बनाकर मस्जिद-मंदिर के नाम पर साम्प्रदयिक सदभाव को ख़त्म करने की कोशिश है | अभी महाराष्ट्र के एक गाँव में ही बन्दूक और त्रिशूल के दम पर आदिवाशियो को जबरदस्ती हिन्दू कहलाने की घटना सामने आई है | आज सरकार फूट डालो राज करो की नीति पर चल रही है | डा. आम्बेडकर के बनाए संविधान में जीने का अधिकार, गरीबों के जीने का अधिकार, भोजन का अधिकार, ये सब एक नियमावली के आधार पर बनाया था परन्तु आज सरकार संविधान बदलना चाहती है, उसके मौलिक अधिकारों पर आघात कर रही है | वह सभी अधिकार अपने अनुसार तय करना चाहती है | हमें उसे रोकना होगा क्योंकि ऐसी कोई योजना नहीं है, ऐसा कोई अधिकार नहीं जो बिना जनसंघर्षों से पूरा हो तो हमें इसके लिए कटिबद्ध होना होगा | यह यात्रा आज जनसंघर्षों की यात्रा है जैसे कि अभी बुजबुजा गाँव में वेलस्पन जैसी कंपनी थर्मल पावर प्लांट के ज़रिये किसानो के पेट पर लात मार रही थी और किसानों ने आत्मदाह करने तक की ठान ली और सबको पीछे हटना पड़ा |
मेधा पाटकर – नर्मदा बचाओ आन्दोलन, शबनम शेख, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय दिल्ली की समन्वयक, प्रफुल्ल सामंतरा-लोक शक्ति अभियान, लिंगराज आज़ाद – नियमगिरि सुरक्षा समिति, NAPM, ओडिशा, डा सुनीलम, आराधना भार्गव – किसान संघर्ष समिति, मीरा – नर्मदा बचाओ आन्दोलन,NAPM, मध्य प्रदेश, सुनीति स.र. सुहास कोल्हेकर, प्रसाद बागवे – NAPM महाराष्ट्र; गेब्रियल दियेत्रीच, गीता रामकृष्णन – असंगठित कामगार संगठन, NAPM, तमिलनाडु ;सी आर नीलकंदन – NAPM केरल; पी चेन्निया, व् रामकृष्ण राजू – NAPM, आन्ध्र प्रदेश; अरुंधती धुरु ऋचा सिंह – NAPM उत्तर प्रदेश; सिस्टर सेलिया – घरेलु कामगार संगठन, व् रुक्मणी वीपी – वस्त्र मजदूर यूनियन, जनसंगठन व् जबर सिंह – NAPM उत्तराखंड आनंद मज्ग ओंकार, कृषण कान्त – पर्यावरण सुरक्षा समिति,NAPM, गुजरात; कामायनी स्वामी, आशीष रंजन – जनजागरण शक्ति संगठन, महेंद्र यादव – कोशी नवनिर्माण मंच – NAPM, बिहार; फैज़ल खान – खुदाई खिदमतगार, जे एस वालिया-NAPM हरियाणा, कैलाश मीना – NAPM राजस्थान; अमिताव मित्रा व् सुजातो भद्र – NAPM पश्चिम बंगाल ; बी एस रावत – जन संघर्ष वाहिनी, राजेंद्र रवि, मधुरेश कुमार- NAPM दिल्ली |

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