सरदार सरोवर के हजारों विस्थापितों ने निकाली बैलगाड़ी रैली
बिना पुनर्वास नहीं छोड़ेंगे मूलगाँव
बडवानीः- मध्यप्रदेश
सरदार सरोवर के विस्थापितों ने आज बडी संख्या में बैलगाड़ियों के साथ किसान, मजदूर, केवट-कहार, कुम्हार आदि सभी के साथ, रैली निकालकर बडवानी के रास्ते ही भर दिये। कृषि मंडी से निकाली रैली में शानदार बैलगाड़ियों पर बैठे किसान स्त्री-पुरूषों को नमन करते हुए कमला यादव, वाहिद भाई, मडुभाई मछुआरा आदि ने शहीदों को याद किया। मेधा पाटकर ने कहा यदि सरकार हमारी आजादी के इस आंदोलन में भी शहादत लेना चाहती है तो ले ले, हम तैयार है।
रैली महात्मा गांधी मार्ग से होते हुए झंडा चौक पहुंचकर आमसभा में परिवर्तित हुई। बैलगाड़ियों से बनाए गए मंच से घाटी के प्रतिनिधि भागीरथ धनगर, पेमल बहन, श्यामा मछुआरा, सनोबर बी मंसूरी आदि बताया कि मुख्यमंत्री के वक्तव्य से ही साफ है कि प्रभावितों का आज तक पुनर्वास नहीं हुआ है। सर्वोच्च अदालत के सामने प्रस्तुत शासन सभी शपथ पत्र झूठे साबित हुए हैं। विकास के लिए त्याग करने का कहकर सरकार क्या हमें पुलिसबल के सहारे विस्थापित करेगी? क्या हमारे पीढ़ियों पुराने गांव, खेत, मंदिर-मस्जिद ध्वस्त करेगी? ग्राम पिछोड़ी की श्यामा बहन ने कहा सरकार पुनर्वास नहीं भ्रष्टाचार करना जानती है। वह अत्याचार और अन्याय पर तुली हुई है। मछुआरों के हाथ से मछली और नदियों के जलाशय हम छीनने नहीं देंगे। मुख्यमंत्री केवल घोषणावीर है। मछुआरों को वादे नहीं मछली पर अधिकार चाहिए।
कुम्हारों की ओर से निसरपुर के ओमप्रकाश प्रजापति ने अपने रोजगार के अधिकार के लिए नर्मदा किनारा नहीं छोडने का संकल्प जाहिर किया। सनोबर बी ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश सरकार विकास के नाम पर आतंक फैला रही है। घाटी में हम महिलाएं इस आतंक का सामने करने को भी तैयार है।
बडवानी के झंडा चौक में आज नर्मदा किनारे के बाषिंदों ने डेरा डाल दिया। हजारों महिलाओं के साथ आए करीब 5000 किसान, मजदूर, कारीगर, मछुआरे सभी बहन भाईयों ने अपने 3 कि.मी. लम्बे जुलूस के बाद विशाल जनसभा में हर समाज, व्यवसाय के प्रतिनिधियों ने बात रखी। वाहिद भाई ने चेतावनी दी कि नदी को इंसान के रूप में मंजूर करने का ढोंग करने वाली सरकार प्रभावितों से जानवर के रूप में पेश न आये।
पेमल बहन ने मुख्यमंत्री द्वारा प्रभावितों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मात्र 1 लाख 20 हजार रू. देने की घोषणा की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की नजर में प्रभावितों के जीवन की कीमत कितनी कम है। सरकार की इस साजिश को हम समझते हैं।
देवराम भाई ने 32 साल के संघर्ष के बाद भी एक नई लडाई का बिगुल बजाने की बात की।
भागीरथ धनगर ने कहा, शासन के आकडे़ भ्रमित करने वाले है। कितने परिवार हटाने की तैयारी है, कितने डूबेगे, यह संख्या अलग अलग बतायी जा रही है। सर्वोच्च अदालत में पेश किये आकडों के अनुसार धार जिले के कुक्षी तहसील के 8177, मनावर के 2601, धरमपुरी के 358 और खरगोन के 30 परिवार 138.68 मीटर, बैक वॉटर लेवल कम करने के बावजूद प्रभावित होने वाले हैं। जबकि धार कलेक्टर मात्र 6132 परिवार और बडवानी कलेक्टर 10000 परिवार हटाने की बात कह रहे है। वहीं मुख्य सचिव सभी जिलों के कुल 9000 आबादी वाले (परिवार नहीं, जनसंख्या नहीं) की बात कह रहे हैं।
डी.पी. धाकड ने ऐलान किया कि जन्मभूमि बचाने के लिए हर नेता आगे आये, सरकार को चुनौती दे। विस्थापितों को लूटने वाले दलालों का सामाजिक बहिष्कार करना जरूरी है।
कुक्षी (जिला) विधायक सुरेन्द्र सिंह हनी बघेलजी और बडवानी के विधायक रमेश पटेल ने सभा में आकर समर्थन दिया।
सुरेन्द्र सिंह हनी बघेलजी ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने परिवारिक जीवन कभी नहीं जिया, इसीलिए शायद वे यहां की महिलाओं की पीढा, चूल्हा बुझने का दर्द नहीं समझ सकते। मुख्यमंत्री ने 13 सालों से किसानों से कभी बात क्यों नहीं की? उन्होने कहा हजारों हजार परिवारों का विनाश करने वाली इस योजना को रोकना ही आज की स्थिति में न्याय होगा।
राजेन्द्र मंडलोई, भूतपूर्व नगर अध्यक्ष, बडवानी ने भी समर्थन देने हुए कहा इस आंदोलन के हम हरदम साथ रहे हैं। उन्होने कहां कि एन वी डी ए भ्रष्टाचार विभाग है जो दलालों के माध्यम से मात्र लूटने का काम कर रहा है। बडवानी तक के किसानों की सिंचाई, बिजली काटना हमें मंजूर रही है।
मेधा पाटकर ने भोपाल में मुख्यमंत्री द्वारा मात्र भाजपा आरएसएस के नुमाइंदों को बुलाकर कर मात्र 10 मिनट की तथाकथित पंचायत को जनतंत्र विरोधी करार दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री जी की हुई तमाम घोषणाओं की पोलखोल की। उन्होने कहा हजारों परिवारों को 40,000 रू. किराया और 20,000 रू. भोजन खर्च देने की घोषणा को हास्यास्पद बताया। उन्होने कहा कि भूमिहीन प्रभावितो का जीवन और जीविका बुरी तरह प्रभावित होगी, ऐसे हर प्रभावित परिवार को 15 लाख दिया जाना चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय के 8 फरवरी के फैसले में पुनर्वास के बाद ही विस्थापन का आदेश है। सर्वोच्च न्यायालय के असंख्य आदेशों का सरकार ने पालन नहीं किया है। यदि न्यायालय के आदेश का पालन करना ही है तो पहले महिला खातेदारों, सह खाताधारकों, अवयस्क खातेदारों को उनकी पात्रता के 60 – 60 लाख रूपए के अनुदान का भुगतान करें उसके बाद भी विस्थापन का सोचे अन्यथा प्रभावित चुप नहीं बैठेंगें।
बिना पुनर्वास मूलगांव नहीं छोडेगे?
राहुल यादव लोकेन्द्र पाटीदार कमला यादव मुकेष भागोरिया