आज नर्मदा घाटी में एक अभूत उर्जा और प्रेरणा की लहर पैदा हुई है। निमाड के गाँव-गाँव के सैकड़ों युवाओ ने, कुछ बुजुर्गों के साथ, सैकड़ों मोटर साइकिल रैली निकाली है इनमें सरदार सरोवर बाँध प्रभावित मजदूर, किसान, मछुआरों के भी युवा शामिल होते हुए, शासनकर्ता और भ्रष्टाचारी अधिकारी-दलालों को चेतावनी दे रहे हैं। “नर्मदा अधिकार यात्रा” के बैनर तले, सरदार सरोवर से डूब के खतरे की घंटा बजते हुए भी, अपने कानून और सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों के द्वारा सुनिश्चित हुए अधिकार पाने के आग्रही इन युवाओं ने अब डूब के पहले संपूर्ण पुनर्वास हासिल करने की जंग छेड़ी है।
8 फरवरी 2017 के सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद, 2005 से भ्रष्टाचार के साथ फर्जी रजिस्ट्री घोटाला आगे बढ़ाने वाले दलाल चाहते है कि वे फिर लोगों को लूटे। शासन भी विस्थापितों के साथ कम और उनके साथ अधिक है। इसको देखते हुए आंदोलन अब दलित मजदूर और किसानों को भी लूटने से बचाएंगे। शिकायत निवारण प्राधिकरण और तमाम शासकीय संस्थाओं तक घाटी के सत्याग्रही युवा दे रहे हैं चुनौती भ्रष्टाचार को रोकने की। पिछले 31 सालों से चल रहे आंदोलन में अब तीसरी पीढ़ी उतर आकर संकल्प ले रही है।
आज सुननी होगी, “युवा सहयोगीयों” की। जो सालों से आंदोलन के साथ है और जो अभी तक अपने ही करिअर में, शिक्षा में लगे थे, ऐसे युवा अब रास्ते पर अतर आये हैं। युवाओ ने गरीबों की, अनपढ लोगों की अधिकार पाने तक गांव में मदद करने की भूमिका ली है। इससे हर मुददे पर सोचने समझने और कानून का पालन स्वयं करने की युवा शक्ति में आस पैदा हो और आंदोलन उनका प्रबोधन करे, जिससे आंदोलन का नया दौर शुरू होगा, यही एक विश्वास वे दिला रहे है। यह मिसाल होगी तीन पीढीयों के आंदोलन की।
– हर पात्र किसान को वैकल्पिक जमीन पाने तक जीने देगी?
– हर भूमिहीन को 10 लाख का अनुदान देकर आजीविका सुनिश्चित करेगी?
– झा आयोग से निकले भ्रष्टाचारी दलाल-अधिकारियों को जेल भेजेगी?
– हर पुनर्वास स्थल का विकास करेगी?
भूपेन्द्र कुमावत राकेश पाटीदार विजय भाई राहुल यादव सुरेश भीलाला