प्रेस विज्ञप्ति
लगातार फ़ैल रही सांप्रदायिक नफरत की परिणिति है अख़लाक़ की हत्या!!!!
देश भर में चलाया जा रहा है सांप्रदायिक नफरत फैलाने का अभियान!!!!
समाज में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को सतत फैलाना आज की ज़रूरत!!!!
दिनांक 29 सितंबर 2015 की रात उत्तर प्रदेश के दादरी इलाके के बिसाहड़ा गाँव में व्हाट्सअप के जरिये मो. एखलाक के घर में गोमांस होने की अफवाह फैलायी गयी, उसके बाद गाँव के मंदिर पर लगे लाउडस्पीकर के ज़रिये एलान करके हजारों लोगों की भीड़ जुटाई गई इसके बाद उस अतिताई सांप्रदायिक हिंसक भीड़ ने अखलाक के घर पर हमला करके 50 वर्षीय अखलाक की बर्बर तरीके से हत्या कर दी. अखलाक के बेटे को अधमरा कर दिया जो नोएडा के एक अस्पताल में मौत से जूझ रहा है तथा परिवार के अन्य सदस्यों को भी बुरी तरह से घायल कर दिया.
भूमि अधिकार आन्दोलन पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता है और मो. एखलाक के घर पर भीड़ के हमले की तीखी निंदा करता है तथा दोषियों की गिरफ्तारी व सख्त सजा की मांग करता है. भूमि अधिकार आन्दोलन देश में उग्र हो रहे बहुसंख्यक साम्प्रदायिकता व समाज में बढ़ रहे सांप्रदायिक वैमनष्य के प्रति गहरी चिंता भी जाहिर करता है और महसूस करता है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद से पूरे देश में सांप्रदायिक शक्तियों का मनोबल अस्वभाविक ढंग से बढ़ा है और धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील ताकतों तथा अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हुए हैं. भाजपा और उसके आनुषांगिक संगठन जैसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद, गौ रक्षा समिति, हिन्दू जागृति मंच, दुर्गा वाहिनी और तमाम छद्म नामों से चलने वाले संगठन देश के मजहबी सौहाद्र और सामजिक ताने-बाने को तोड़ने की गतिविधियों में संलग्न हैं. बिसाहड़ा गाँव में जो साम्प्रादायिक हिंसा हुई उसमें किसी प्रताप सेना का ज़िक्र आ रहा है. ये तमाम पुनरुत्थानवादी ताकतें हर तर्कशील, वैज्ञानिक, प्रगतिशील और उनसे असहमति रखने वालों के खिलाफ हिंसक रवैया अख्तियार कर रहीं हैं.ये ताकतें अपने ऊपर उठने वाली हर आवाज को हत्याओं के जरिये हमेशा के लिए चुप करा देना चाहती हैं. देश के मौजूदा परिदृश्य में मुस्लिम और इसाई समुदायों के उपर होने वाले हमलों में अस्वभाविक तेजी तथा पिछले एक साल के भीतर डा० दाभोलकर, गोविन्द पंसारे और प्रो. कलुबर्गी जैसे धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील सामाजिक राजनितिक कार्यकर्ताओं की हत्याएं इसका प्रमाण हैं.
इन साम्प्रादायिक संगठनों ने सतत ढंग से सांप्रदायिक वैमनष्य को समाज में इतने गहरे में उतार दिया है कि वे अफवाह फैलाकर भीड़ जुटाने और उस भीड़ को हिंसक बनाकर अखलाक जैसे बेगुनाहों की जान ले पाने तथा देश के धर्म निरपेक्ष ताने-बाने को ललकारने में सफल होती दिख रहीं हैं. सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में हो रही लगातार बढ़ोत्तरी यह भी बताती है कि या तो सरकारें सांप्रदायिक शक्तियों के साथ खड़ी हैं या फिर वो इन्हें रोकना ही नहीं चाहतीं.
ऐसे में जबकि बहस का रुख इस तरफ मोड़ा जा रहा है कि वह गौमांस था या नहीं? अगर था तो भी भीड़ को कानून में अपने हाथों में नहीं लेना चाहिए था? भूमि अधिकार इस घटना पर अपना स्पष्ट नज़रिया रखना चाहता है कि लोगों के खान-पान की आदतों में राज्य का कोई भी दखल नहीं होना चाहिए.
इस प्रायोजित सांप्रदायिक हिंसक भीड़ द्वारा एखलाक की हत्या या सांप्रदायिक फासीवादी संगठनों द्वारा प्रो. कलुबर्गी जैसे लोगों की हत्या देश के धर्मनिरपेक्ष और सामजिक ताने-बाने पर हमला है. इस हमले का मुकाबला समाज के अन्दर धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को गहरे तक उताकर ही किया जा सकता है. इसलिए भूमि अधिकार आन्दोलन भू-अधिकार की लड़ाई को धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के साथ जोड़ कर ही आगे बढ़ाएगा और हिन्दुस्तान की धर्मनिरपेक्ष विरासत को बनाए रखने के लिए संघर्ष करता रहेगा.
National Alliance for People’s Movements (NAPM), All India Union of Forest Working People (AIUFWP), All India Kisan Sabha (Ajay Bhawan), All India Kisan Sabha (Canning Lane), Akhil Bhartiya Krishak Khet Mazdoor Sangathan, Lok Sangharsh Morcha, Narmada Bachao Andolan, Jan Sangharsh Samanvaya Samiti, Chhatisgarh Bachao Aandolan, Kisan Sangharsh Samiti, Sanyukt Kisan Sangharsh Samilti, INSAF, Delhi Solidarity Group, Sarvahara Jan Andolan, Ghar Bachao Ghar Banao Andolan, VTMS, Matu Jansangathan, Kisan Manch, Bhartiya Kisan Union and others
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